क़द्र की रात उत्तम है हज़ार महीनों से,
(अल-कद्र आयत नं.3)
आइशा रज़ि अल्लाहु अन्हा कहते है की रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया शब-ए-क़द्र को रामज़ान की आखरी अश्रे की ताक़ रातों (21,23, 25, 27, 29) में तलाश करो |
(सहीह बुखारी, हदीस नं. 2017)
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