Apney Rozo ko Zakat ul Fitr dekar paak karo aur Eid se pahley usey de do
Abdullah bin umar radi allaho anhuma se rivayat hai ki Rasoollallah Sallallahu Alaihi Wasallam ne Zakat-ul-Fitra ek sa khajur ya ek Sa jou (barley ) (One Sa' = 3 Kilograms approx) farz qarar di hai jo Ghulam, Aazad, Mard , Aurat chotey aur badey tamam musalmano par farz hai aur Aap Sallallahu Alaihi Wasallam ne ye hukm diya hai ki
Namaz (Eid) ke liye janey se pahley ye Zakat (or Sadqa) Ada kar di jaye
(Sahih Bukhari, Hadith no.1503)
औरतो के कज़ा रोज़े
हज़रत अबु सलमा (रज़ि.) कहते हैं, मैंने हज़रत आइशा (रज़ि) से सुना है, आप फ़रमाते थे कि अगर मेरे ऊपर रमज़ान के रोज़े हों तो मैं शाबान से पहले-पहले क़ज़ा कर लुँगी | (सहीह)
(बुख़ारी-1950, इब्ने माजह-1669)
हज़रत आइशा (रज़ि) कहते हैं कि, हुज़ूरे अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ज़माना-ए-मुबारक में हमको हैज़(मासिक धर्म) आया करता, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लमरमज़ान के रोज़ो की क़ज़ा करने का हुक्म फ़रमाया करते | (हसन)
(इब्ने माजह-1670, तिर्मिजी-787)
गर्भवती और दुध पिलाने वाली महिला के रोज़े का हुक्म
भी मुसाफ़िर की तरह ही है जैसा कि अनस बिन मालिक काअब (रज़ि) कहते है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया निःसन्देह अल्लाह तआला ने मुसाफ़िर से रोज़ा और आधी नमाज़, और गर्भवती और दुध पिलाने वाली महिला से रोज़ा माफ़ कर दिया है | (हसन)
(इब्ने माजह-1667 तिर्मिज़ी-715)
नोट:-छूटे हुवे रोजे बादमे कज़ा करना ज़रूरी है जैसा कि अल्लाह तआला फ़रमाते है कि
अल-बक़रा (Al-Baqarah):185 - रमज़ान का महीना जिसमें कुरआन उतारा गया लोगों के मार्गदर्शन के लिए, और मार्गदर्शन और सत्य-असत्य के अन्तर के प्रमाणों के साथा। अतः तुममें जो कोई इस महीने में मौजूद हो उसे चाहिए कि उसके रोज़े रखे और जो बीमार हो या सफ़र में हो तो दूसरे दिनों में गिनती पूरी कर ले। अल्लाह तुम्हारे साथ आसानी चाहता है, वह तुम्हारे साथ सख़्ती और कठिनाई नहीं चाहता, (वह तुम्हारे लिए आसानी पैदा कर रहा है) और चाहता है कि तुम संख्या पूरी कर लो और जो सीधा मार्ग तुम्हें दिखाया गया है, उस पर अल्लाह की बड़ाई प्रकट करो और ताकि तुम कृतज्ञ बनो.
रोज़े तोड़ने का कफ़्फ़ारा
अबु हुरैरह (रज़ि) कहते है की रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हुक्म किया एक शख़्श को जिसने रामज़ान में रोज़ा तोड़ दिया था की एक ग़ुलाम को आज़ाद करे या 2 महीने के रोज़े रखे या 60 मिस्कीन (गरीबो) को खाना खिलाये |
(सहीह मुस्लिम, हदीस नं. 2599
अपनी ज़कात उनको भी दो जो शर्म के मारे आपसे मांग नहीं सकते जैसे अपने भाई बहन, पडोसी,रिस्तेदार जो आपसे गरीब हो उनकी मदद करो..
यह उन मुहताजों के लिए है जो अल्लाह के मार्ग में घिर गए कि धरती में (जीविकोपार्जन के लिए) कोई दौड़-धूप नहीं कर सकते। उनके स्वाभिमान के कारण अपरिचित व्यक्ति उन्हें धनवान समझता है। तुम उन्हें उनके लक्षणो से पहचान सकते हो। वे लिपटकर लोगों से नहीं माँगते। जो माल भी तुम ख़र्च करोगे, वह अल्लाह को ज्ञात होगा
यह उन मुहताजों के लिए है जो अल्लाह के मार्ग में घिर गए कि धरती में (जीविकोपार्जन के लिए) कोई दौड़-धूप नहीं कर सकते। उनके स्वाभिमान के कारण अपरिचित व्यक्ति उन्हें धनवान समझता है। तुम उन्हें उनके लक्षणो से पहचान सकते हो। वे लिपटकर लोगों से नहीं माँगते। जो माल भी तुम ख़र्च करोगे, वह अल्लाह को ज्ञात होगा
(शूराः अल-बक़रा आयतनं-273)



